आदिकाल से ही रत्नों को आभूषण व ज्योतिषीय नजरियें के चलते धारण किया जा रहा है। वर्तमान में भी लोग रत्नों को शौक वश धारण कर रहे हैं। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि रत्न को बिना ज्योतिषीय सलाह के धारण करना हानिकार हो सकता है। क्योंकि रत्न अपने राशि के स्वामी ग्रह को प्रबल बनाता है। जिससे आपको उसका लाभ स्थिति व प्रभाव के अनुसार मिलता है। यदि आपने गलत रत्न धारण कर लिया तो आपको इसके गंभीर नतीजे मिल सकते हैं।
राशि के रत्न धारण करने से जातक को राशि का लाभ मिलता है। ज्योतिष कहते हैं कि राशि रत्न को तब धारण करने की सलाह तब दी जाती है जब राशि व राशि का स्वामी कमजोर हो या किसी तरह की रत्न से संबंधित समस्या व रोग हो। ज्योतिष कहते हैं कि रत्नों से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। करियर, धन, संतान, संबंध, प्रेम व व्यवसाय में लाभ के लिए भी रत्न धारण किया जाता है। इसके साथ ही ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि केवल इसके भौतिक ही नहीं अपितु चिकित्सीय लाभ भी हैं। कुछ रत्न मानसिक तनाव, रक्त संबंधित विकार के साथ ही कई अन्य विकारों में भी फायदा पहुँचाते हैं।
राशि रत्न के प्रकार
ज्योतिषाचार्यों की माने तो राशि रत्न दो तरह के होते हैं एक राशि रत्न व दूसरा उपराशि रत्न। ये रत्न ही होते हैं लेकिन राशि रत्न (rashi gems) से कम कीमती व उतने ही प्रभावी होते हैं। यदि आपको रत्नों के बारे कुछ जानकारी है तो आप नौ रत्नों के बारे में भी जानते होंगे। यदि नहीं है तो हम आपको बता दें कि ये नौ रत्न नौ ग्रह की अगुवायी करते हैं। सभी अपने गुण व शक्ति के अनुसार अगल महत्व रखते हैं। वैसे तो सभी रत्न मायने रखते हैं लेकिन इन रत्नों में नौ रत्न सबसे अधिक महत्व रखते हैं। जिस तरह से ज्योतिष में नौ ग्रह हैं इसी की तर्ज पर इन ग्रहों के नौ रत्न भी हैं। नौ रत्नों में हीरा, मोती, पन्ना, माणिक, नीलम, पुखराज, गोमेद, मूंगा व लहसुनिया शामिल है। ज्योतिषियों की माने तो राशि व राशि के स्वामी के गुण व स्वभाव के आधार पर ही इनके राशि रत्नों को निर्धारित किया है।
राशि रत्न का महत्व
राशि रत्न का ज्योतिष शास्त्र में आप इसी बात से लगा सकते हैं। जब भी ग्रह अपनी दिशा व स्थिति बदलते हैं तो ज्योतिषाचार्य राशि रत्न को ही धारण करने की सलाह देते हैं। क्योंकि रत्न अपने प्रभाव से कमजोर ग्रह को शक्तिशाली बनाने के साथ ही आपके किस्मत को भी बदलने का काम करता है। सभी बरहों राशि के जातकों के लिए उसके राशि व राशि स्वामी के अनुसार रत्न निर्धारित है। जिसे ज्योतिष परामर्श के बाद धारण किया जाता है। कुल मिलाकर अगर आपकी जिंदगी में कोई परेशानी काफी दिनों से है तो हो सकता है कि आपके ग्रह गर्दिश में हैं। इसे समय रहते सही नहीं किया गया तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न राशि अनुसार नहीं बल्कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार पहनने चाहिए। कौन-सा रत्न कब पहना जाएं इसके लिए कुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण करना जरूरी होता है।