loader
Phalit Jyotish

फलित ज्योतिष

  • Home    >
  • Services    >
  • फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष

Phalit Jyotish

!!हर हर महादेव!!
महादेव ज्योतिष प्रतिष्ठान यह येक संस्था है!

ज्योतिष और ज्योतिषी

(एक विश्लेषणात्मक अध्ययन)

सर्वमान्य परिभाषा के अनुसार कहा जा सकता है कि ज्योतिष शास्त्र ग्रहों, नक्षत्रों, राशियों आदि के मानव पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन शास्त्र है। जैसा कि कहा भी गया है ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहणां बोधक शास्त्रम्। दूसरे शब्दों में हम ज्योतिष को सामाजिक ब्रह्मांडीय शास्त्र भी कह सकते हैं । यह अनुमानतः 3000 वर्षों से भी अधिक पुराना विज्ञान है। ज्योतिष क्या है?
'ज्योतिष' शब्द संस्कृत का एक मूल शब्द है। कुछ विद्वान इसे 'ज्योति+ईश' अर्थात् 'ईश्वर का प्रकाश' ऐसा विश्लेषित करके समझाने का प्रयास भी करते हैं। परन्तु यह मात्र शब्द विलास ही जान पड़ता है। तार्किकता के आधार पर यह अर्थ सत्य प्रमाणित नहीं होता। क्योंकि ज्योतिष शब्द की संरचना 'ज्योतिस्+अच्' के अवयवों के अनुसार (ज्योतिस्-यानी प्रकाश तथा अच्–यानी प्रार्थना करना) 'ज्योतिष' का अर्थ 'प्रकाश की प्रार्थना' करना सिद्ध होता है। (इसी 'अच्' से 'अर्चना' का भी विन्यास होता है) यह व्याकरण की दृष्टि से भी अधिक उचित है और तर्कशास्त्र की दृष्टि से भी युक्तिसंगत है।

प्राय: ज्योतिष को भविष्य का ज्ञान करानेवाला शास्त्र ही माना जाता है। परन्तु यह अर्ध सत्य है । वस्तुतः ज्योतिष समय और मानव के आर-पार देखने की कला है। इससे भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों को जाना जा सकता है और मनुष्य के व्यक्तित्व, स्वभाव, प्रकृति, गुण-दोष, रोग-विकार आदि को भी ठीक-ठीक जाना जा सकता है।

क्या ज्योतिष अंधविश्वास है?

विज्ञानवादियों एवं आधुनिक लोगों की यह आम धारणा है कि ज्योतिष अंधविश्वास और मात्र पंडितों की कमाई का माध्यम है। लेकिन यह भी सत्य है कि ऐसी धारणा उन्हीं सज्जनों की है, जिन्होंने ज्योतिष को पढ़ा या जाना नहीं है, मात्र सुना ही है। किसी प्रणाली को जाने व समझे बिना ही उसका विरोध मात्र इसलिए करना कि वह प्राचीन है अथवा आध्यात्मिकता से सम्बन्धित है, बुद्धिमत्ता नहीं है। दो पदार्थों/सत्ताओं/विषयों को तत्त्वतः जानकर उनके सम्बन्ध में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके ही हम उनकी तुलना कर सकते हैं। तभी हम किसी को श्रेष्ठ और किसी को औसत या निम्न कहने के अधिकारी हैं । मात्र इसलिए नहीं कि वह हमें पसंद नहीं है या हमारी रुचि के अनुकूल नहीं है। सत्य हमेशा हमारी पसंद का ही हो, यह जरूरी नहीं है।

क्या ज्योतिष स्वतंत्र विज्ञान है?

ज्योतिष एक विद्या है, एक कला है, एक शास्त्र है, एक विज्ञान भी है। परन्तु इसे स्वतन्त्र नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें अनेक समानान्तर विषयों का समायोजन है। बहुत से विषयों को साफ-साफ ज्योतिष से अलग नहीं किया जा सकता। जैसे हस्तरेखा विज्ञान, चरणरेखा विज्ञान, कपालसंहिता, मुखाकृति विज्ञान, अंकविज्ञान, शरीर लक्षण विज्ञान, चेष्टा विज्ञान, तिल-मस्सों आदि का प्रभाव, ग्रीवा संहिता, रावण संहिता, लाल किताब (अरुण संहिता), हस्तलिपि एवं हस्ताक्षर विज्ञान, नक्षत्र विज्ञान, रत्न ज्योतिष/रमल, खगोलशास्त्र, विज्ञान, समाजशास्त्र, आचार संहिता, मन्त्रविज्ञान, दर्शन शास्त्र, कर्मकांड, अध्यात्म, यन्त्र-तन्त्र एवं टोटके, शकुन शास्त्र, स्वप्न विज्ञान, मनोविज्ञान, गणित आदि बहुत से विषय ज्योतिष के साथ इस तरह गुंथे हुए हैं और आपस में इतने समानान्तर हैं कि उनको पृथक करके ज्योतिष को एक स्वतन्त्र विधा या विज्ञान कह सकना मेरे विचार में सम्भव ही नहीं है। अलबत्ता ज्योतिष एक स्वतंत्र विज्ञान भी है, यह सत्य है।

क्या ज्योतिषी ही सर्वज्ञ है?

ज्योतिषी सर्वज्ञ नहीं हो सकता। क्योंकि ज्योतिषी भगवान नहीं है। ज्योतिषी सिद्ध योगी भी नहीं है। ज्योतिषी को कोई वासिद्धि का वरदान भी प्राप्त नहीं होता। ज्योतिष की सीमाएं हैं तो ज्योतिषी की और भी अधिक सीमाएं हैं। अतः ज्योतिषी को सर्वज्ञ मानना भारी भूल होगी। जैसा कि कहा गया है त्रिया चरित्रं पुरुषस्य भाग्यं देवो न जानाति कुतो मनुष्यः (स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देवता भी नहीं जानते तो मनुष्य कैसे जान सकता है ?)
ज्योतिष/ज्योतिषी, कार्यकारण सम्बन्ध, कर्मफल चक्र, पुनर्जन्म एवं ग्रहों की गति के गणित तथा तत्त्व एवं गुणों के समायोजन का अध्ययन कर काल द्वारा उनका सम्बन्ध स्थापित कर-भाग्य, कर्म, स्वभाव, भूत, वर्तमान, भविष्य आदि का अनुमान तो लगा सकता है, वह सटीक भी हो सकता है, परन्तु उन्हें बदल नहीं सकता और नियति को भी नहीं जान सकता। यह निश्चित है।

Enquiry Now / Appointments


Capture Code: 83660

05
Trusted by
Million Clients
07+
Years of
Experience
450+
Types of
Horoscopes
09
Qualified
Astrologers
89 %
Sucess
Horoscope